देह नहीं खोज रहे थे देह में
दुःख की जगहें तलाश रहे थे
एक दूसरे की
इसमें रुकावटें जो थीं
देह की नहीं थीं
एक हिचक थी पुराने किस्म की और भय था
बीच में रेत की नदियाँ थीं
जिनमें चमक आते थे तृष्णाओं के दृश्य
नेपथ्य में रोजमर्रा की आवाजें थीं
अगर संगीत था तो यही था
कुछ और आवाजें थीं जैसे रोशनी की तीखी किरनें कौंधतीं
ये दुस्वप्नों की सलाखें थीं -
जागते नहीं थे डरकर सोते भी नहीं थे
इसी बीच में सब कुछ ढूँढ़ना था
देह को नहीं ढूँढ़ना था देह में
छुपी हुई जगहें तलाशनी थीं दुःख की।